sl.num.17(2) 27feb2012
मैंने फिर कहा ,”यार वहस करने के लिए अपने पास समय नहीं है ,वो देख कितनी आगे निकल गयी ।
अभी कही खो जाएगी ,फिर ढूंढते रहना ।”
इतना बोलने के बाद तो बस रिम्पी एकदम से दौड़ पड़ा । उसने एक बार भी पीछे मुड़कर मेरी
तरफ नहीं देखा ।उसकी रफ्तार आँधी से ज्यादा तेज थी । जब रिम्पी भी गली मे उसके पीछे-पीछे आगे
जाकर गली मे मूड गया । तब जाके मैंने राहत की सांस ली ।क्यूंकी मुझे पता चल गया था अब ये अपना
काम कर के ही वापस आएगा ।
लेकिन तभी क्या देखता हु। मैंने जब पीछे मूड कर देखा तो जहां मे खड़ा था उसके एकदम पीछे
एक दुकान थी । जिस पर कोई अंकल जी टाइप खड़े हुये थे । मुझे ऐसा लगा उन्होने शायद हमारी सारी
बाते सुन ली थी । एकदम से मेरा दिल बैठ गया । आज तो सबकुछ गड़बड़ हो गया।मैंने मन ही मन
सोचा ,”बेटा आज तो मार पड़ेगी और बेहिसाब की पड़ेगी ,
फिर मैंने सोचा मे भी अकेला नहीं हु रिमपी भी मेरे साथ तो है ही,दोनों मिलकर दो चार को तो
संभाल लेंगे ,,,,,,,,,या फिर दोनों मिल के आधा आधा बाँट लेंगे जो भी जितनी भी मिलेगी …..”मार ”।
वो अंकल जी मेरी तरफ घूर के देख रहे थे ।
एक तो मे अभी अकेला था इसलिय और ज्यादा डर लग रहा था । तो मैंने वहाँ खड़ा रहना उचित
न समझा । मे लगभग 20 मिटर आगे बढ़ गया । ताकि मे उनकी नजरो से बच सकु। मुसकिल से 1 मिनट
बिता होगा,सामने से रिमपी चला आ रहा था । मे दूर से ही उसको और उसकी चाल को देख के समझ
गया,”लड़का कुछ तो कर के आया है ,और वेसे भी इतना गया गुजरा नहीं है ।”
मेरे नजदीक आके रिमपी बोला ,” चल आ मेरे साथ”
मैंने कहा ,”कहाँ …..”(कहाँ को मैं लंबा खीच के बोला)
बो बोला ,”आना तुझे उसका घर दिखाता हु ,यही पास मे ही है,मे देख आया ”
तब जाके कहीं मेरी सांस मे सांस आयी । एक पल को मुझे तो लगा था की ये गाली खा के आया है और
बाकी अब मुझे खिलाने ले जा रहा है क्यूंकी बो तो बोल देगा ,” जो भी है ये है ,इसको गलिया दो।”
(हम तो पहले से ही उन अंकल जी से डरे हुये खड़े थे ।)
मैंने रिमपी से पूछा ,”जब तू उसके पीछे जा रहा था उसने तुझे देखा तो नहीं ???”
रिमपी बोला ,”मैंने उसे देखने का मौका ही नहीं दिया ,उसके घर के अंदर जाते ही ,किसी aunty
ने आके तुरंत gate बंद कर लिया था।”
मैंने मन ही मन सोचा ,”लड़का समझदार तो है ” (लेकिन मैंने ये बात उससे बोली नहीं क्यूंकी दोस्तो
की थोड़ी सी तारीफ कर दो तो सर चढ़ जाते है ।)
अब हम दोनों वहाँ से उसके (चाँद) घर की तरफ बढ्ने लगे । (मन मे खयाल आया कि कही वो हमे
गलियों मे घूमता हुआ न देख ले ,पर अभी इसने बताया था कि उसके gate बंद हो चुके है ।)
जब हम ठीक उसके घर के सामने पहुंचे तो पहले रिमपी ने इधर उधर देखा फिर धीरे से उसके घर कि
तरफ उंगली से इशारा करके बताया ,” यही है । ”
मेरे मुह से अचानक से निकल गया ,”सच्ची”
रिमपी बोला ,” तुझे क्या लग रहा है मे मज़ाक कर रहा हु । ”
मैंने साइकल स्टैंड पर लगाई । उसके घर के ठीक सामने थोड़ी सी बैठने कि जगह थी । मे वहाँ बैठ गया ,
उसके घर को बड़ी गौर से देखा, सब कुछ पढ़ा जो भी कही कुछ लिखा हुआ था ,बैठे -बैठे अंदर झाँकने
कि भी कोशिश कि पर कुछ भी नहीं दिखा ।
रिमपी इधर-उधर commando कि तरह चौकसी कर रहा था ।
तभी मे एकदम से बोला ,”यार rimpy असलियत मे भी चाँद पश्चिम दिशा से ही निकलता है ना,और
यहाँ भी चाँद पश्चिम से ही निकलता है । ”
रिमपी बोला ,” अब चल ,कोई आके कुछ पूछने लगा ना तो वाट लग जाएगी । ”और ज्यादा कवि बनाने
की कोशिश मत कर ।
लड़के कि बात तो एकदम सही थी ।
हम वहाँ लगभग 10-15 सेकंड ही रुके थे । फिर हम वापस लौट आए ।
जब हम बापस घर जा रहे थे ,तो रास्ते मे मैंने रिमपी को अंकल जी वाली कहानी सुनाई ।
वेसे आज काफी कुछ जान गया था,मे उसके बारे मे ,कई सारी गलत फहमियां भी दूर हो गयी थी।
पहली बात –बो हिन्दू थी
दूसरी बात –ब्राह्मण थी ….. मिश्रा
मैंने रास्ते मे रिमपी से कहा ….”यार आज तो उसका एक और नया नाम मिल गया ”
रिमपी ने मेरी तरफ तरफ अजीब से देखा ।
मे उसके बिना बोले ही सब कुछ समझ गया कि वो उसका नया नाम पूछ रहा है ।
मैंने कहा …….”””’मिश्राजी””’।
to be continued…..
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misra’s lover