Sharad Purnima Vrat Katha in Hindi
हेल्लो नमस्कार दोस्तों तो आज में आपको इस आर्टिकल (Sharad Purnima Vrat Katha in Hindi) में शरद पूर्णिमा व्रत कथा के बारे में सब कुछ विस्तार से बताने वाला हूँ, जिससे अगर आप भी यह व्रत को रखना चाहे तो यहाँ से जानकारी प्राप्त करके आप भी कैसे क्या किया जाता है। यह सब कुछ आप बड़े ही अच्छे से कर सकते हैं, और साथ ही आप दूसरों को भी इसके बारे में विस्तार से बता सकते हैं, तो आइये अब (Sharad Purnima Vrat Katha in Hindi) के बारर में जानें।
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हर साल आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा का व्रत किया जाता है, इसे कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, जिसके लिए उस दिन शरद पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है, इसके साथ ही यह साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भी हो जाता है, हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का काफी महत्व होता है, तो आइये अब इसे Sharad Purnima Vrat Katha in Hindi को विस्तार से जानते हैं।
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शरद पूर्णिमा का महत्व क्या है?
आपको जानकारी के लिए बता दे कि शरद पूर्णिमा इसे इसलिए कहा जाता हैं, क्योंकि यह सुबह के समय और शाम और रात में सर्दी का एहसास होने लगता हैं।
यह चौमासे यानी भगवान विष्णु जिसमें सो रहे होते हैं, उस समय यह अपने अंतिम चरण पर होते हैं।
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Sharad Purnima Vrat Katha in Hindi : इसकी मान्यता हैं, कि शरद पूर्णिमा का चाँद अपनी सभी 16 कलाओ से यह सम्पूर्ण होकर अपनी किरणों से यह रातभर अमृत की वर्षा किया करता हैं। जो कोई भी इस रात को खुले आसमान में खीर बनाकर उसे रखता हैं, जिसके बाद उसे सुबह अगर आप उसको खाते हैं, तो वह उसे आपके लिए अमृत के समान कहलाती हैं।
बहुत से लोग यह भी बताते है कि चांदनी में रखी खीर आपके लिए औषधी का भी काम करती हैं, जिससे कि हमारे कई सारे रोग ठीक करने में मदद करती हैं।
यहाँ तलक तो पैराणिक कथाओं के आधार पर शरद पूर्णिमा के दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास भी रचा था। जिसके लिए इस शरद पूर्णिमा के साथ-2 इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता हैं।
शरद पूर्णिमा के और भी नाम | Sharad Purnima Name
क्रमांक | प्रदेश (जहाँ शरद पूर्णिमा मनाते है) | शरद पूर्णिमा को क्या कहा जाता है |
1. | गुजरात | शरद पूर्णिमा – इस दिन वहां लोग गरबा एवं डांडिया रास करते है |
2. | बंगाल | लोक्खी पूजो – देवी लक्ष्मी के लिए स्पेशल भोग बनाया जाता है. |
3. | मिथिला | कोजगारह |
शरद पूर्णिमा व्रत की कथा | Sharad Purnima Vrat Ki Katha
गांव का एक साहूकार जिसकी दो बेटियाँ थी, और वो दोनों ही पूर्णमासी का व्रत किया करती थी।
लेकिन उसमे बड़ी बहन तो व्रत को पूरा कर लेती थी, वह छोटी बहन व्रत को अधूरा ही कर पाती थी।
जिसके लिए छोटी बहन के जितने भी बच्चे जन्म लेते ही वह तुरन्त ही मर जाया करते थे, वही बड़ी बहन के सारे बच्चे जीवित रहते थे।
लेकिन छोटी बहन उदास होकर उसने एक दिन बड़े-2 पंडितो को बुलाकर अपने सारे दुःखो को बताया और उसने कारण भी पूछा।
फिर उन पंडितों ने उसे तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती हो, इसलिए ही तुम्हारे सारे बच्चों की अकाल मृत्यु हो जा रही हैं। जिसके लिए अब आपको पूर्णिमा का विधिपूर्वक व्रत को आपने पूरा करना होगा जिसके बाद से तुम्हारे अब जो बच्चे होंगे वह जीवित रहेंगे।
तब जाकर उस लड़की ने उन पंडितों की आज्ञा को माना और विधि-विधान से उसने पूर्णमासी के व्रत को पूरा किया।
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लेकिन उसके कुछ समय बाद ही इस बच्चे का जन्म हुआ और वह भी तुरन्त ही मर गया। तब उससे अपने बच्चे को पीढे पर लेटकर उसके ऊपर कपडे को ढक दिया और उसने अपनी बड़ी बहन को बुलाया।
फिर उसने वही पीढ़ा बैठने को दे दिया बड़ी बहन जैसे ही बैठने लगी तो उसने जैसे ही उसके कपड़ा बच्चे का छूते ही वह लड़का जीवित होकर रोने लगा।
यह देख बड़ी बहन गुस्से में बोली तू मुझ पर कलंक लगाना चाहती थी, अगर में बैठती तो ये मर नही जाता क्या, लेकिन तभी तुरन्त छोटी बहन बोली ये तो बहन पहले ही मरा हुआ था। लेकिन तेरे भाग्य से यह जीवित हुआ हैं।
फिर छोटी बहन बोली हम दोनों ही पूर्णिमा का व्रत किया करते थे, लेकिन तू इसे पूरा करती और में इसे अधूरा छोड़ देती थी, जिसके वजह से ही मेरी संताने मर जाती थी। लेकिन यह तेरे पूण्य से यह बच्चा जीवित हुआ हैं, जिसके बाद से उस लड़की ने पुरे नगर में ढिंढोरा पिटवा दिया कि आज से सभी पूर्णिमा का व्रत करें, क्योंकि यह संतान सुख देने वाला हैं।
शरद पूर्णिमा पूजा विधि | Sharad Purnima Puja Vidhi
आपको इस दिन सुबह स्नान करके आराध्य देव को सुंदर वस्त्राभूषणों से उन्हें सुशोभित करके फिर उनका आवाहन, आसान, आचमन, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धुप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, सुपारी, दक्षिणा आदि से उनका पूजन करना होगा।
फिर रात को आपने गाय के दूध से खीर बनाकर खीर में घी तथा चीनी मिलाकर उसे आधीरात के समय भगवान को भोग लगाना चाहिए।
जिसके बाद आपको पूर्ण चंद्रमा के आकाश के मध्य स्थित होने पर आपने उनका पूजन करें, और उस खीर का नैवेद्य अर्पण करके फिर रात को खीर एक बर्तन में खीर आपको खुले चांदनी आसमान में रख दे और उसे फिर दूसरे दिन इसे प्रसाद के रूप में इसे खाये।
अब आपको अपना व्रत को पूरा करके कथा सुननी चाहिए, और कथा सुनने पहले आपको एक लौटे में जल तथा गिलास में गेंहू, पत्ते के दोनों में रोली तथा चावल रखकर कलश की वंदना करके दक्षिणा चढ़ाएं।
जिसके बाद आपको फिर तिलक करे और बाद में गेंहू के 13 दाने हाथ में लेकर कथा को सुनें, फिर गेंहू के गिलास पर हाथ फेरकर मिश्रणी के पांव स्पर्श करके गेंहू का गिलास उन्हें भी दे दे, फिर आपने लोटे के जल का रात को चन्द्रमा को अर्ध्य दे।
शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने का महत्व | Sharad Purnima Vrat Katha in Hindi
आपको बता दे कि इन दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है, और यह देखने भी में काफी ज्यादा सुंदर लगता हैं, लेकिन इसकी ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा से निकलने वाली किरणें जो कि अमृत के समान होती हैं। जिसके यही वजह है कि इस दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर को रखा जाता हैं, ताकि हमारी खीर चन्द्रमा की रौशनी पड़े और यह खीर अमृत बन जाए जिसे खाकर हमारे कई सारे रोग दूर हो जाए।
शरद पूर्णिमा का व्रत कैसे खोला जाता हैं?
इस पावन दिन आपको सुबह जल्दी उठकर सुबह नहाना होगा, नहाने के बाद आपको अपने घर के मंदिर में दिप जलाये और अगर आपको संभव है तो आप इस दिन व्रत भी रख सकते हैं। सभी देवी-देवताओ का गंगा जल से इनका अभिषेक करे और पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करके इनका विशेष महत्व होता हैं, इस दिन भगवान विष्णु साथ साथ माता लक्ष्मी जी की पूजा अर्जना भी करें।
शरद पूर्णिमा पर क्या करें?
आप इस दिन पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ आपको व्रत रखना होगा और साथ ही भगवान विष्णु जी की पूजा करें, साथ ही आप भगवान कृष्ण और देवी राधा की पूजा करनी है, क्योंकि इस दिन उन्हें भी समर्पित है क्योंकि चंद्र ग्रहण के कारण भगवान शिव की पूजा करने से शुभ माना जाता हैं। इस दौरान आप मंत्र का जाप भी करे जो आपके लिए बहुत ही लाभकारी होता है, जिसके बाद आपको भगवान जी का भोग लगाना भी पूण्यदायी माना जाता हैं, जब ग्रहण शुरू होने से पहले आपको खीर बनाकर चंद्रमा के नीचे रख दे, इसके साथ ही आपको इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन भी करना होता हैं।
FAQ Sharad Purnima Vrat Katha in Hindi
Q : शरद पूर्णिमा कब है ?
Ans : अश्विनी माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं।
Q : शरद पूर्णिमा में भगवान को किस चीज का भोग लगाया जाता है ?
Ans : खीर या रबड़ी का भोग लगाते हैं।
Q : शरद पूर्णिमा के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है ?
Ans : चंद्रमा निकलने के बाद।
तो आज दोस्तों आप इस आर्टिकल Sharad Purnima Vrat Katha in Hindi में समझ गए होंगे, कि शरद पूर्णिमा हम हिंदुओं के लिए क्यों जरुरी हैं, इसके साथ ही आप इनके बारे में काफी कुछ जान भी गए होंगे। ऐसे ही और जानकारी पाने के लिए हमे फॉलो करें।
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