Ek prem kahani mein
Ek prem kahani mein : mishra’s lover की कहानी एक hindi real love story से प्रेरित है। ये hindi story आपको best love story in hindi लगेगी। अगर आप इसके सारे episode क्रमबद्ध तरीके से पढ़ते हो।hindi sad story होने के साथ साथmost romantic love story in hindi भी है। इसके अंदर आपको school love story in hindi का भी अंश मिलेगा। अंततः आप इसे cute love stories in hindi मे भी गिनती कर सकते है। आगे की कहानी कुछ इस प्रकार है …
उसकी हसीन आदतो मे से एक थी | Epi.032
अब उसकी बातो को अनसुना करना जायज ना था,लेकिन अब तक ” डर” मेरी रगो मे खून बन कर दौडने लगा था| इसलिये मैने उससे हल्के स्वर मे कहा,” यार छोड फिर कभी देखते है|”
उसने तो जैसे ना मानने की ठान रखी थी,वो एकदम तपाक से बोला,”ओये…ये फालतू के बहाने मत बना,….खासकर मेरे सामने तो बिल्कुल नही चलने वाले है|”(रोहन को हो क्या गया था,मुझे समझ ही नही आ रहा था|अब उसने खुद ही सारी किताबे समेट कर बैग मे भर ली,ओर खडे होने के लिये कुर्सी छोडने लगा|)
अब वो बोला,”तू अभी तक बैठा है,उधर देख पूरा कोलेज खाली हो गया है,वो बस जाने ही वाली होगी|”
मैने भी तो मन ही मन यही इच्छा बना रखी थी,कि वो चली जाये,इसीलिये मै जानबूझ कर देर करना चाहता था,मैने उसको उठने से रोकने के लिये उसका हाथ पकड कर झटके के साथ वापस बैठा लिया ओर उसको झूठा आश्वासन दिया कि थोडी देर ओर रुक वो अभी नही गयी होगी|”
मेरे इस तरह से प्रतिक्रिया देने पर्,वो कुछ देर के लिये बैठ तो गया,लेकिम अब शायद वो मेरे डर को महसूस कर गया था| वो बडी ही शालीनता के साथ बोला,”मै तेरे आस पास ही रहून्गा| यहाँ से भले ही वो चार पाँच के ग्रूप मे निकली है पर यकीन मान गेट् से निकलते-निकलते सिर्फ वो दोनो ही रह जायेगी|”
जब इतने विश्वास के साथ उसने मुझे आश्वासन दिया,तो अब जज्बात जोश से परिपूर्ण हो गये|ओर आत्मविश्वा मे भी थोडी सी बढोत्तरी हुयी|फिर मैने खुद ही उससे कहा,” चल देखते है|”
शायद उस दिन भगवान की भी कुछ इच्छा इसी प्रकार थी,या यू मान लीजिये रिम्पी की जुबान पर सरस्वती का वाश था |इससे पहले कि हम कुर्सी से उठ पाते खुद भगवान ही वहाँ प्रकट हो गये|
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हुआ कुछ यू था,मिश्रा जी व उनकी सहेली खुद ही लाइब्रेरी मे आ गये थे| उन दोनो को वहाँ देखकर ,मै जो आधा उठ पाया था,वापस कुर्सी पर धम्म से बैठ गया| उन दोनो ने भी जब हम दोनो को वहाँ लाइब्रेरी मे पाया,वो दोनो एकदम से सकपका गयी| उस वक्त उनके चेहरे की प्रतिक्रियाये देखने लायक थी,हालाँकि प्रतिक्रियाये तो हमारी भी देखने लायक थी| खासकर कि रिम्पी ,अगर उसका वश चलता चलता तो हस-हस कर गला फाड लेता |
आखिरकार उसके अनुरूप ही सबकुछ हो गया था,उसकी तो सुबह से ही यही इच्छा थी| मगर वर्तमान स्थिति क सवाल ये था,” इन्हे अचानक आज ऐसी कौन सी जरूरत पड गयी जो इन्हे यहाँ लाइब्रेरी तक खीच लायी,वो भी इस वक्त जब हम चारो के सिवा लाइब्रेरी मे कोइ नही था|”
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अब जब वो दोनो लाइब्रेरी मे enter हुयी,सबसे पहले वो सकपकायी,फिर उनकी प्रतिक्रियाये बदली,ओर उसके बाद शायद उनकी मानसिक स्थिति ने भी कुछ पल के लिये अपना सन्तुलन खो दिया| हर बार सिर्फ मेरा सन्तुलन बिगडता था,पर आज पता चला कि ये सब उसके साथ भी होता है| वो दोनो सीधी हमरी तरफ लगभग चार कदम बढी चली आयी,फिर अचानक से मिश्राजी की सहेली को याद आया,कि लाइब्रेरी आँफिस तो दो कदम पीछे छूट गया है| मिश्रा जी की सहेली ने मिश्राजी का हाथ पकडकर लाइब्रेरी आँफिस की ओर खीचा|
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that moment,जब उसकी सहेली उसका हाथ पकडकर खीच रही थी,उस वक्त उसकी सहेली के चेहरे पर जो मुस्कुराहत थी,अतुलनीय थी,जो शायद उसकी सहेली उससे ज्यादा खूबसूरत आज से पहले कभी नही दिखी| दूसरा,जब मिश्राजी को पता चला की उसकी सहेली उसको पीछे खीच रही है उस बक्त मिश्राजी का एकदम से नजरे चुराते हुये,सिर का नीचे की ओर झुकाना,और सिर झुकाने के बाद उसके चेहरे पर जो मुस्कुराहत खिली थी|,उस बक्त बनी हुयी दोनो खूबसुरत चेहरो की प्रतिमाये,मन से मिटा पाना नामुमकिन है| यानी मिश्राजी की ये आदत उसकी हसीन आदतो मे से एक थी| जो कि मुझे बहुत लुभाती थी|
जब वो लोग लाइब्रेरी. आँफिस से बाहर आये,तो लाइब्रेरी के इन्चार्ज उन्हे lead कर रहे थे,हमारे सामने से होते हुये वो सभी बुक्स इस्सू टेबल की ओर चले गये| मैने जब अपनी जगह से थोडा आगे की ओर झांक कर देखा तो नेहा(मिश्राजी) किताबे छांट रही थी| अन्ततः उसने कोई एक मोटी सी किताब चुन ली| बची हुयी सारी किताबो को उसने यथास्थान रख दिया| उसने उस मोटी सी किताब को इस्सू कराया ओर जान के लिये चल दिये| मैने अपनी जगह वापस ले ली| जब वो हमारे सामने से गुजरे,अभी सबसे आगे उसकी सहेली,एक कदम पीछे नेहा,लगभग 2-3 कदम पीछे लाइब्रेरी इन्चार्ज थे|
मैने गौर किया,जब वो हमारे सामने से गुजरी ,एक पल को उसने मेरी तरफ देखा,ओर अगले ही पल उसका ध्यान मेरे बेग पर था,हो सकता है,उसे समझते देर ना लगी होगी,लाइब्रेरी मे तो हम बैठे है,किन्तु कोइ भी किताब सामने तक नही है
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उन लोगो के वहाँ से जाने के बाद्,जब लाइब्रेरी इन्चार्ज भीअपने आँफिस चले गये| मे बडी ही फुर्ती के साथ उठ कर भागा| रिम्पी को लगा मै उठ कर बाहर ही जा रहा हू,इसलिये उसने भी बैग उठाया ओर बाहर की ओर भागा,परन्तु जब उसने देखा कि मे बाहर ना जाकर बुक इस्सु काउन्टर जो कि अब खाली पडा था,की तरफ जा रहा हू तो वह उल्टे पाँव वापस आ गया|
फिर मैने वो सारी किताबे पुनः वापस निकाली जो उसने यथास्थान रखी थी,मैने उन सारी किताबो के मुख्य प्रष्ठ पढे ओर साथ ही साथ थोडा वहुत खोल कर भी देखा| सारी की सारी किताबे जीव विग्यान से सम्बन्धित थी|असल मे उन सभी किताबो को खोलकर देखने से मेरा मुख्य अभिप्राय्,उन सारी किताबो को स्पर्श कर के देखना था,मै उस एह्सास को मह्सूस करना चाहता था,जो उसके छूने के बाद उन किताबो मै आ गया था|
ek prem katha hindi mein | to be continued
अगले एपिसोड में आगे की कहानी आपको पढ़ने के लिए मिलेगी। लेकिन उससे पहले आपको ये एपिसोड कैसा लगा हमे जरूर बताए। हम चाहते है आपका और हमारा दोनों तरफ से बातों का आदान प्रदान होता रहे। ये Ek prem kahani mein आपको आपकी जिंदगी से कही न कही जरूर जोड़ के रखेगी / इसलिए आप भी हमारे साथ जुड़े रहे/
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