Ekadashi Vrat Katha
हैलो नमस्कार दोस्तो तो आज हम आपको इस आर्टिकल Ekadashi Vrat Katha मे बारे मे वह सब बताने वाले है, जो आज आप इस लेख से जानने आए हैं, तो कब पड़ती है एकादशी और कैसे रहते है, एकादशी का व्रत यह सब आज आप इसमे जानने वाले है, इसका सही मुहूर्त क्या है, और क्या इसके सही नियम है।
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अगर आपको और भी कोई व्रत के बारे मे जानना चाहते हैं, तो आप हमारी वैबसाइट मे जाकर आपको कई सारे व्रत देखने को मिल जाएगे जो आप जानना चहाते है, तो आप सबसे पहले इस Ekadashi Vrat Katha के बारे मे अच्छे से जान ले।
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एकादशी व्रत कब हैं | Ekadashi Vrat Katha
दिनांक | दिन | त्यौहार |
07 जनवरी 2024 | रविवार | सफला एकादशी |
21 जनवरी 2024 | रविवार | पौष पुत्रदा एकादशी |
06 फरवरी 2024 | मंगलवार | षटतिला एकादशी |
20 फरवरी 2024 | मंगलवार | जया एकादशी |
06 मार्च 2024 | बुधवार | विजया एकादशी |
20 मार्च 2024 | बुधवार | आमलकी एकादशी |
05 अप्रैल 2024 | शुक्रवार | पापमोचिनी एकादशी |
19 अप्रैल 2024 | शुक्रवार | कामदा एकादशी |
04 मई 2024 | शनिवार | वरुथिनी एकादशी |
19 मई 2024 | रविवार | मोहिनी एकादशी |
02 जून 2024 | रविवार | अपरा एकादशी |
18 जून 2024 | मंगलवार | निर्जला एकादशी |
02 जुलाई 2024 | बुधवार | योगिनी एकादशी |
17 जुलाई 2024 | बुधवार | देवशयनी एकादशी |
31 जुलाई 2024 | बुधवार | कामिका एकादशी |
16 अगस्त 2024 | शुक्रवार | श्रावण पुत्रदा एकादशी |
29 अगस्त 2024 | गुरुवार | अजा एकादशी |
28 सितंबर 2024 | शनिवार | परिवर्तिनी एकादशी |
28 सितंबर 2024 | शनिवार | इंदिरा एकादशी |
14 अक्टूबर 2024 | सोमवार | पापकुंशा एकादशी |
28 अक्टूबर 2024 | सोमवार | रमा एकादशी |
12 नवंबर 2024 | मंगलवार | देवूत्थान एकादशी |
26 नवंबर 2024 | मंगलवार | उत्पन्न एकादशी |
11 दिसंबर 2024 | बुधवार | मोक्षदा एकादशी |
26 दिसंबर 2024 | गुरुवार | सफला एकादशी |
एकादशी उपवास से जुड़ा यह लेख यह जानकारी तो देता ही है, कि एकादशी कब है, लेकिन साथ ही मैं इस त्योहार से जुड़े और भी पहलुओं को भी विस्तार से विवेचना करता है, हिंदू धर्म में एकादशी या ग्यारस एक जरूरी तारीख है, एकादशी उपवास की बड़ी महीना है, और एक ही दशा में रहते हुए अपने आराध्य भगवान का पूजन और वंदन करने की प्रेरणा देने वाला उपवास ही एकादशी व्रत कहलाता है।
पद्म पुराण के हिसाब से स्वयं शिव जी ने नारद जी को उपदेश देते हुए कहा था, एकादशी महान पुण्य देने वाली होती है, और कहा जाता है, कि को मनुष्य एकादशी का उपवास रखता है, उसके पितृ और पूर्वज कुयोनि को त्याग कर स्वर्ग चले जाते हैं, तो आइए जानते हैं, एकादशी से जुड़े अनेकानेक आयामों को अच्छे से जानते हैं।
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क्या है एकादशी | Ekadashi Vrat Katha
हिंदू पंचांग की ग्यारहवीं तारीख को एकादशी कहते हैं, एकादशी संस्कृत भाषा से किया गया शब्द है, जिसका मतलब होता है, ग्यारह। हर एक महीने में एकादशी दो बार आती है, शुक्ल पक्ष के बाद और दूसरी कृष्ण पक्ष के बाद पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं, और हर एक पक्ष की एकादशी का अपना अलग मतलब होता है, और वैसे तो हिंदी धर्म में बहुत सारे व्रत आदि किए जाते हैं, लेकिन इन सब मैं एकादशी का उपवास सबसे पुराना माना जाता है, हिंदू धर्म में इस उपवास की बहुत ही मान्यता है।
एकादशी का महत्व
अगर पुराणों के अनुसार एकादशी को हरी दिन और हरी वासर के नाम से भी जाना जाता है, और इस व्रत को वैष्णव और गैर वैष्णव दोनों ही समुदायों द्वारा मनाया जाता है, ऐसा कहा जाता है, कि एकादशी व्रत हवन, यज्ञ, वैदिक कर्म काण्ड आदि से भी ज्यादा फल देता है, इस उपवास की रखने की एक मान्यता ये भी है, कि इससे पूर्वज या फिर पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है, स्कंद पुराण में भी एकादशी व्रत के महानता के बारे मैं बताया गया है।
जो भी इंसान इस व्रत को रखता है, उनके लिए एकादशी के दिन गेहूं, मसाले और सब्जियां आदि नहीं खाया जाता है, भक्त एकादशी उपवास की तैयारी एक दिन पहले से मतलब कि दशमी से ही स्टार्ट कर देते हैं, दशमी के दिन श्रद्धालु सुबह जल्दी उठकर नहाते हैं, और इस दिन वो बिना नमक का खाना ग्रहण करते हैं।
एकादशी व्रत का नियम | Ekadashi Vrat Katha
एकादशी व्रत करने का नियम बहुत ही सख्त होता है, जिसमे उपवास करने वाले को एकादशी तारीख के पहले सूर्यास्त से लेकर एकादशी के अगले सूर्योदय तक व्रत रखना होता है, और यह उपवास किसी भी लिंग या किसी भी उम्र का व्यक्ति अपनी इच्छा से रख सकता है।
एकादशी उपवास करने की इच्छा रखने वाले लोगों को दशमी ( एकादशी से एक दिन पहले) के दिन से कुछ आवश्यक नियमों को मानना पड़ता है, दशमी के दिन से ही श्रद्धालुओं को मांस, मछली, प्याज, डाल ( मसूर की) और शहद जैसे खाघ पदार्थों को नहीं खाना चाहिए, और रात केडी समय भोग विलास से दूर रहते हुए, पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
एकादशी के दिन सुबह दांत साफ करने के लिए लकड़ी का दातुन उपयोग न करें, इसकी जगह आप नींबू, जामिन या फिर आम के पत्तों को लेकर चबा लें, और अपनी उंगली से कंठ को साफ कर लें, इस दिन पेड़ से पत्ते तोड़ना भी मना होता है, इसलिए आप स्वयं गिरे हुए पत्तों का उपयोग करें, और अगर आप पत्तों का इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं।
तो आप सादा पानी से ही कुल्ला करलें, नहाना आदि करने के बाद आप मंदिर में जाकर गीता का पाठ करे, या फिर पंडितजी से गीता का पाठ सुनें, और सच्चे मन से ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें, और भगवान विष्णु का स्मरण और उनकी प्रार्थना करें, इस दिन दान धर्म की भी मान्यता है, इसलिए अपनी इच्छाशक्ति से दान करें।
एकादशी के अगले दिन की द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है द्वादशी दशमी और बाकी दिनों की तरह ही आम दिन होता है, इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, और सामान्य भोजन को खाकर उपवास की पूर्ण करते है, इस दिन ब्राह्मणों की मिष्ठान और दक्षिणा आदि देने का रीति रिवाज है, और ध्यान रहे की श्रद्धालु त्रियोदशी आने से पहले ही उपवास का पालन कर लें, इस दिन कोशिश करने चाहिए कि एकादशी व्रत का नियम पालन करें, और उसमे कोई गलती न हो।
एकादशी व्रत का भोजन
शास्त्रों के अनुसार श्रद्धालु एकादशी के दिन आप इन चीजों और मसालों का उपयोग पाने व्रत के खाने मैं कर सकते हैं।
- ताजे फल
- मेवा
- कुट्टू का आटा
- नारियल
- जैतून
- दूध
- अदरक
- काली मिर्च
- सेंधा नमक
- आलू
- साबुदाना
- शकरकंद
एकादशी व्रत का खाना सात्विक होना चाहिए, और कुछ लोग यह उपवास बिना पानी पिए भी पूर्ण करते हैं, जिसे निर्जला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
एकादशी पर कभी न करे ये काम?
- पेड़ से पत्ते न तोड़ें।
- घर में झाडू न लगाएं, और ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि घर में झाडू लगाने से चिटियों या फिर छोटे छोटे जीवों के मरने का दर होता है, और इस दिन जीव हत्या करना पापा होता है।
- बाल न कटाएं।
- आवश्यकता हो तभी बोलें, और कम से कम बोलने की कोशिश करें, ऐसा इसलिए किया जाता है, कहीं ज्यादा बोलने से मुंह से उल्टे सीधे शब्द न निकलें।
- एकादशी के दिन चावल खाना भी मना है।
- किसी का दिया हुआ कुछ न खाएं।
- मन मैं किसी भी प्रकार का विकार न आने दें।
- अगर कोई फलहारी है, तो वो गोभी, पालक, शलजम आदि को न खाए, वो आम, केला, अंगूर और मेवा को खा सकते हैं।
एकादशी व्रत कथा | Ekadashi Vrat Katha
प्रत्येक व्रत को मनाए जाने के पीछे कोई न कोई धार्मिक वजह या फिर कथा छुपी होती है, एकादशी व्रत मनाने के पीछे भी काफी सारी कहानियां हैं, एकादशी व्रत कथा को बहुत जरुरी माना जाता है, जैसा की हम सब जानते ही हैं, एकादशी हर महीने में दो बार आती है, जिन्हें हम भिन्न नामों से जानते हैं, सभी एकादशियों के पीछे अपनी अलग कहानी छुपी है, एकादशी व्रत के दिन उससे जुड़ी व्रत कथा सुनना आवश्यक होता है, शास्त्रों के अनुसार बिना Ekadashi Vrat Katha सुने किसी भी इंसान का व्रत पूर्ण नहीं होता है।
FAQ Ekadashi Vrat Katha
1.Ques :- एकादशी व्रत कथा क्या है?
Ans :- यह एकादशी धन-वैभव देती है तथा पापों का नाश कर उत्तम गति भी प्रदान करने वाली होती है। इसी व्रत के प्रभाव से सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र को पुत्र, स्त्री और राज्य की प्राप्ति हुई थी।
2.Ques :- एकादशी का व्रत खोलते समय क्या खाना चाहिए?
Ans :- एकादशी व्रत में केला खा सकते हैं। केला फलाहार में आता है और उपवास के दिन इसे खाने में कोई समस्या नहीं होती है।
3.Ques :- एकादशी का व्रत रखने के लिए क्या नियम है?
Ans :- एकादशी से एक दिन पहले आपको मांस-मछली, प्याज, मसूर की दाल और शहद जैसे आइटम का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए, इस दिन आपको बिलकुल भी चावल भी नही खाने चाहिए क्यूकी चावल भी वर्जित होता है. एकादशी का व्रत करने वालों को पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
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तो दोस्तों उम्मीद करता हूं, आपको ये आर्टिकल Ekadashi Vrat Katha पसंद आया होगा, क्योंकि हमने अपनी इस साइट पर इस आर्टिकल के जरिए से इस साल आने वाले सभी एकादशी की तारीख का चार्ट दे रखा है, जिसके लिए आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, और सारी विधि भी यहां बताई गई है, तो आप ध्यान से पढ़ सकते हैं। और फॉलो करके अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर दें, जिससे नई नई जानकारियां आप प्राप्त करते रहें।
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आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जो अपने इस पोस्ट Ekadashi Vrat Katha को पूरा पढ़ा और अपने दोस्तो और रिश्तेदारों के साथ शेयर किया।
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