Pradosh Vrat
हेल्लो नमस्कार दोस्तों तो आज हम आपको इस पोस्ट Pradosh Vrat 2024 में वह सारे व्रत बताने वाले है, जो अब 2024 में आने वाले हैं, क्योंकि यह व्रत हर महीने में दो बार आता हैं, कब-कब यह व्रत पड़ने वाला हैं, जिसके लिए आपको इस आर्टिकल में एकदम सटीक जानकारी देने वाले हैं, जो आप इस आर्टिकल Pradosh Vrat 2024 में आपको साल के सारे व्रत के बारे में बताने वाले हैं।
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वैसे Pradosh Vrat Hindu कैलंडर के आधार पर त्रयोदशी के दिन ही रखा जाता हैं, क्योंकि इस दिन भगवान शिव जी और माता पार्वती जी की पूजा की जाती हैं, और यह महीने में प्रत्येक दो बार Pradosh Vrat (शुल्क पक्ष और कृष्ण पक्ष) में होते है।
तारीख | दिन | व्रत |
09 जनवरी 2024 | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
20 जनवरी 2024 | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
07 फरवरी 2024 | बुधवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
21 फरवरी 2024 | बुधवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
08 मार्च 2024 | शुक्रवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
22 मार्च 2024 | शुक्रवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
06 अप्रैल 2024 | शनिवार | शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
21 अप्रैल 2024 | रविवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
05 मई 2024 | रविवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
20 मई 2024 | सोमवार | सोम प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
04 जून 2024 | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
19 जून 2024 | बुधवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
03 जुलाई 2024 | बुधावर | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
18 जुलाई 2024 | गुरुवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
01 अगस्त 2024 | गुरुवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
17 अगस्त 2024 | शनिवार | शनि प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
31 अगस्त 2024 | शनिवार | शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
15 सितंबर 2024 | रविवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
29 सितंबर 2024 | रविवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
15 अक्टूबर 2024 | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
29 अक्टूबर 2024 | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
13 नवंबर 2024 | बुधवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
28 नवंबर 2024 | गुरुवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
13 दिसंबर 2024 | शुक्रवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
28 दिसंबर 2024 | शनिवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
क्या है प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat)?
आपको बता प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को ही ज्यादातर लोग त्रयोदशी को मनाते हैं, और महीने की हर पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत भी कहा जाता हैं, यही सूर्य निकलने से पहले और रात होने से पहले का ही समय प्रदोष काल होता हैं, और इस व्रत में भगवान शिव जी की पूजा की जाती हैं, वही हम हिन्दू धर्म में व्रत और पूजा-पाठ उपवास आदि की काफी महत्व दी जाती हैं।
कुछ लोग ऐसा भी मानते हैं, कि अगर लोग सच्चे मन से व्रत रखते हैं, उन व्यक्ति को मन चाहे वस्तुओं की प्राप्ति होती हैं, आपको बता दे कि हिन्दू धर्म में हर महीने ही कोई न कोई व्रत तो जरूर पडते ही हैं, लेकिन यही ही Pradosh Vrat को देखा जाए तो सबसे ज्यादा मान्यता है।
प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) जो अलग-2 तरह के हैं, और उनसे मिलने वाले लाभ कुछ इस प्रकार है?
वैसे प्रदोष व्रत अलग-2 दिन के आधार पर उनका अलग-2 महत्व होता हैं, और ऐसा भी कहा जाता है, कि जिस दिन हम लोग यह व्रत रहते हैं, तो वह उस दिन के हिसाब से वह व्रत के महत्व बदल जाते हैं।
अलग-2 व्रत के आधार पर प्रदोष व्रत के निम्नलिखित लाभ जो कुछ इस प्रकार के होते है –
- जो लोग रविवार को प्रदोष व्रत को रखते हैं, उसकी आयु में वृद्धि होती हैं, और यही उनका स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहता है।
- यही व्रत जो लोग सोमवार को रखते है, उसे कई लोग सोम प्रदोषम या फिर चंद्र प्रदोषम भी कहते हैं, और इसकी मनोकामना से की पूर्ति करने के लिए रखा जाता है।
- अब जो लोग मंगलवार को प्रदोष व्रत रखते हैं, उसको कुछ लोग भौम प्रदोषम कहते हैं, और इस दिन व्रत को रखने के लिए हर तरह के रोगों से इंसान को मुक्ति मिलती हैं, और शरीर स्वास्थ्य रहता हैं।
- बुधवार को प्रदोष व्रत रहने से हर तरह की कामना सिद्ध मिलती है।
- गुरूवार के दिन प्रदोष व्रत रहने से आपके शत्रुओं का नाश हमेशा रहता है।
- अब जो लोग शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत को रखते हैं, उनके जीवन में हमेशा से सौभाग्य की वृद्धि होती है।
- इस दिन के प्रदोष व्रत को शनि प्रदोषम कहा जाता हैं, और लोग इस दिन अपने संतान की प्राप्ति के लिए आज के दिन व्रत रखते है।
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प्रदोष व्रत का महत्त्व ( Pradosh Vrat Mahatva)
प्रदोष व्रत हिन्दुओं के धर्म के लिए यह प्रदोष व्रत बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता हैं, और इसी दिन पूरी निष्ठा से भगवान शिव जी की आराधना करने से जातक के सारे ही काष्ठ दूर हो जाते हैं, और इसके साथ ही इंसानो को मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती हैं, इसके साथ ही पुराणों के आधार पर प्रदोष व्रत के महत्त्व को वेदों और महाज्ञानी सूतजी ने गंगा नदी के तट पर शौनकादि ऋषियों को बताया था।
कि उन्होंने लीधो से ये भी कहा था कि कलयुग में जब अधर्म बढेगा, और लोग धर्म के रास्तो को छोड़ कर अन्याय की राह पर जा रहे होंगे, तब उस समय भगवान शिव जी और माता सती को बताया था, कि सूत जी को इस व्रत के बारे में महाऋषि वेदव्यास जी ने सुनाया जिसके बाद सूत जी ने इस प्रदोष व्रत की महिमा के बारे में शौनकादि ऋषिओं के बारे में बताया था।
और इअ व्रत में व्रती को निर्जल रहकर जो व्रत को रखते है, और सुबह होते ही काल स्नान करके भगवान शिव जी की बेल पत्र और गंगाजल अक्षत धुप दिप सहित पूजा करते हैं, फिर शाम को पुन स्नान करके इसी प्रकार से भगवान शिव जी की पूजा करते हैं, इस प्रकार प्रदोष व्रत करने से व्रती को पूण्य मिलता हैं।
प्रदोष व्रत की विधि (Pradosh Vrat Vidhi)
शाम का समय और प्रदोष व्रत के लिए पूजन करने का बहुत ही अच्छा समय माना जाता हैं, यही हिन्दू पंचांग के आधार पर सभी शिव जी मंदिरो में शाम के समय प्रदोष मन्त्र का जाप भी करते है-
- प्रदोष व्रत रहने से फले आप त्रयोदशी के दिन सूर्योदय से पहले उठ जाए।
- उसके बाद आप बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि चीजो से भगवान शिव जी की पूजा करते है।
- इस प्रदोष व्रत में खाना बिलकुल भी नही खाया जाता है।
- इस व्रत को पुरे दिन उपवास रहने के बाद और सूर्य अस्त होने से पहले दोबारा स्नान किया जाता हैं, और फिर सफ़ेद रंग के कपडे पहने जाते है।
- आप फिर साफ़ जल या फिर हो तो गंगा जल से पूजा स्थान को शुद्ध करें।
- फिर आपने गाय का गोबर ले और उसकी मदद से मंडप तैयार कर लें।
- अब आपको यहाँ पर पांच अलग-2 रंग के मदद से आप एक मंडप में रंगोली बना लें।
- फिर आप पूजा की सारी तैयारी करने के बाद आप उत्तर या फिर पूर्व दिशा में मुँह करके कुशा के आसान पर बैठ जाएँ।
- और आसान से भगवान शिव जी के मन्त्र ॐ नमः शिवायः का जाप करे और शिव जी को जल चढ़ाएं।
प्रदोष व्रत का उद्यापन
जो व्यक्ति इस व्रत को 11 या 26 त्रयोदशी तक रहते है, उन्हें इस व्रत का उद्यापन विधिवत तरीके से करना होता हैं।
- व्रत का उद्यापन आप त्रयोदशी तिथि को ही करें।
- उद्यापन करने से एक दिन पहले श्री गणेश की पूजा की जाती हैं, और इसके साथ ही उद्यापन से पहले वाली रात को कीर्तन करते हुए जागरण करते है।
- फिर इसके अगले दिन सुबह जल्दी उठकर आप मडंप बनाये और उसे वस्त्रों और रंगोली से सजाया जाता है।
- ॐ उमा सहित शिवाय नमः का 108 बार आपको जाप करते हुए हवन भी करना होगा।
- फिर आपको खीर का इस्तेमाल हवन में आहुति के लिए करना होगा।
- अब आपको हवन समाप्त हो जाने के बाद फिर भगवान शिव जी की आरती और शांति पाठ करना होगा।
- सबसे लास्ट में आपको कम से कम दो ब्राह्मणों को खाना खिलना होगा, और अपने इच्छा से उन ब्राम्हणो को दान दक्षिणा देते हुए उसने आपने आशीर्वाद लेना होगा।
प्रदोष व्रत कथा (Pradosh Vrat Katha)
यह प्राचीन समय की बात है, और जब एक विधवा ब्राह्मणी अपने पुत्र के साथ रोज भिक्षा मांगने जाया करती थी, और वह दोनों भिक्षा मांग कर शाम के समय तक लौट आया करती थी, लेकिन एक दिन जब वह दोनों भिक्षा मांग कर वापस लौट रहे थे तो उन्हें एक नदी किनारे एक बहुत ही सुंदर लड़का देखा, लेकिन ब्राह्मणी नही जानती थी ये बच्चा किसका है?
लेकिन वह बच्चा के नाम धर्मगुप्त था और वह विदर्भ देश का राजकुमार था, लेकिन किसी युद्ध में आपके पिता मारे गए। और उनका राज्यपाठ छीन लिया गया था, लेकिन इसके पिता के शौक मे इनकी मटा भी चल बसी, फिर शत्रुओ ने धर्मगुप्त को राज्य से बाहर निकाल दिया, लेकिन उस ब्राह्मणी ने उस लड़के की ऐसी हालत देख उसे अपना लिया और अपने पुत्र के समान उसका पालन-पोषण करने लगी।
फिर कुछ ही दिनों बाद वह ब्राह्मणी अपने दोनों लड़कों को लेकर एक दिन देवयोग से देव मंदिर गई, जहाँ उसकी भेंट ऋषि शाण्डिल्य से हुई, ऋषि शाण्डिल्य एक विख्यात ऋषि थे, लेकिन उनकी बुद्धि और विवेक की चर्चा हर जगह थी।
फिर उस ऋषि को ब्राह्मणी ने उस लड़के की सारी कहानी सुनाई कि कैसे उसके माता-पिता की मौत हुई उसके बारे में बताया, फिर ऋषि ने उस ब्राह्मणी से और उसके दोनों बेटों को बोला अब से तुम प्रदोष व्रत रहने की सलाह दी और उससे जुड़े पूरे वधि-विधान के बारे में बताया। ऋषि के बताये गए नियमों के अनुसार ब्राह्मणी और लड़कों ने व्रत सम्पन्न किया लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि इस व्रत का फल क्या मिल सकता है।
इस दिन वह दोनों लड़के वन विहार कर रहे थे तभी उन्हें वहां कुछ गंधर्व कन्याएं नजर आईं जो कि बेहद सुन्दर थी, राजकुमार धर्मगुप्त अंशुमती नाम की एक गंधर्व कन्या की ओर आकर्षित हो गए, कन्या के पिता को जब यह पता चला कि वह बालक विदर्भ देश का राजकुमार है तो उसने भगवान शिव की आज्ञा से दोनों का विवाह कराया।
राजकुमार को कुछ समय बाद पता चला कि बीते समय में जो कुछ भी उसे हासिल हुआ है वह ब्राह्मणी और राजकुमार धर्मगुप्त के द्वारा किये गए प्रदोष व्रत का फल था, जो भी व्यक्ति प्रदोष व्रत के दिन शिवपूजा करेगा और एकाग्र होकर प्रदोष व्रत की कथा सुनेगा और पढ़ेगा उसे सौ जन्मों तक कभी किसी परेशानी या फिर दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ेगा।
हमें उम्मीद है कि वर्ष 2024 में पड़ रहे सारे Pradosh Vrat की तारीखों की जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। साथ ही यहाँ दी गई सभी सूचना आपका ज्ञानवर्धन करेगी।
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो अपने इस आर्टिकल Pradosh Vrat को अंत तक पढ़ा और अपने दोस्तो के साथ शेयर भी किया।