Somvar Vrat Katha
Somvar Vrat Katha: सोमवार के व्रत मैं जरूर सुनें ये कथा, मिलेगी शिव पार्वती की कृपा
हैलो नमस्कार दोस्तो तो आज हम आपको इस आर्टिकल Somvar Vrat Katha मे वह सब बतायेंगे, जो आज आप इस पोस्ट मे जानने आए है, क्योकि काफी महत्वपूर्ण है, सोमवार व्रत कथा इसमे आपको हम वह सब कुछ इस कथा मे बतायेंगे, जो लड़का या लड़की को मालूम होना चाहिए, क्योकि यह Somvar Vrat Katha कोई भी व्यक्ति रह सकता है।
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अगर आपको और भी किसी व्रत के बारे मे जानना हो, या फिर किसी व्रत की कथा के बारे मे पता करना हो, तो आप हमारी वैबसाइट मे जाकर त्यौहार वाली केटेगरी को चुने जिसमे आपको कई सारे व्रत और उनकी कथा देखने को मिल जाएगी, तब तक आप इस Somvar Vrat Katha के बारे मे पढ़े और समझें।
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सोमवार व्रत कथा | Somvar Vrat Katha
सोमवार का दिन शिव को समर्पित होता है, आज ही के दिन भक्त शंकर भगवान को खुश करने के लिए विशेष पूजा अर्चना करते हैं, और कुछ लोग आज ही के दिन उपवास भी रखते हैं, जिससे भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकते शंकर भगवान के आशीर्वाद के लिए आप भी सोमवार का उपवास कर रहे हैं, तो शिव व्रत कथा को पढ़कर या फिर सुनकर इस व्रत को पूर्ण करें।
सोमवार व्रत की विधि | Somvar Vrat Ki Vidhi
महादेव बहुत ही भोले माने जाते हैं, इसलिए उनका एक भोलेनाथ भी है, पौराणिक मान्यतानुसार, शंकर भगवान को प्रसन्न करने के लिए किसी भी तरह के खास पूजन की जरूरत नहीं होती, क्योंकि कहा जाता है, कि वह तो भोले हैं, और भक्त की मन से की गई क्षणिक मात्र की भक्ति से ही वो खुश हो जाते हैं, लेकिन आप भी शिव और शक्ति की कृपा पाने के किए सावन के सोमवार का उपवास करते हैं, तो इस कथा से शिवजी को प्रसन्न कर सकते हैं।
साहुकार को मिला संतान प्राप्ति का वरदान
नारद पुराण के अनुसार सोमवार उपवास मैं व्यक्तियों को सुबह नहाकर शंकर भगवान को जल और बेल पत्र चढ़ाना चाहिए, तथा शिव और गौरी की पूजा करनी चाहिए, शिव पूजन के बाद सोमवार उपवास कथा सुननी चाहिए, और इसके बाद सिर्फ एक समय ही खाना ग्रहण करना चाहिए, साधारण रूप से सोमवार का उपवास दिन के तीसरे दिन तक होता है, यानी शाम तक ही रखा जाता है, सोमवार व्रत तीन तरह का होता है, हर सोमवार व्रत, सौम्य प्रदोष व्रत और सोलह सोमवार का व्रत इन सभी व्रतों के लिए एक ही विधि होती है।
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सोमवार व्रत | Somvar Vrat
एक समय की बात ही, किसी क्षेत्र मैं एक साहुकार राहत था, उसके घर मै धन की कोई कमी नही थी लेकिन उसकी कोई भी संतान नही थी, इस वजह से वो बहुत ही दुखी था, पुत्र प्राप्ति के लिए वह प्रत्येक सोमवार उपवास रखता था और पूरी श्रद्धा के साथ शिव मंदिर जाकर भगवान शंकर और पार्वती जी की पूजा करता था, उसकी भक्ति देखकर एक दिन माता पार्वती खुश होकर भोलेनाथ से साहुकार की मनोकामना पूर्ण करने का निवेदन किया।
और पार्वती जी ने आग्रह पर शंकर भगवान ने कहा कि हे पार्वती, इस संसार मैं हर प्राणी को इसके कर्मों का फल मिलता है, और जिसके भाग्य में जो है, यूज भोगना ही पड़ता है, लेकिन पार्वती जी ने साहुकार की भक्ति देखकर उसकी इच्छा पूरी करने की इच्छा व्यक्ति की देवी पार्वती के आग्रह पर शिव जी ने साहुकार को पुत्र प्राप्ति वरदान तो दे दिया लेकिन उन्होंने बताया कि यह आपका बच्चा सिर्फ 12 साल तक ही जीवित रहेगा।
साहुकार के पुत्र का कुछ ऐसे हुआ विवाह (Somvar Vrat Katha)
देवी पार्वती और शिव भगवान की बातचीत को साहुकार सुन रहा था, इसलिए उसे ना तो इस बात की खुशी थी और ना ही इस बात का दुख, क्योंकि वह पहले की तरह ही शंकर भगवान की पूजा करता रहा, कुछ समय के बाद साहुकार की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया, और जब वह लड़का ग्यारह साल का हुआ तो उसे पढ़ने के लिए काशी भेज दिया गया, साहुकार ने पुत्र के मामा को बुलाकर उसे बहुत सारे पैसे धन दौलत देते हुए बोला कि तुम इस लड़के को काशी विधि प्राप्ति के लिए ले जाओ, और तुम लोग रास्ते में यज्ञ कराते हुए जाना और ब्राह्मणों को भोजन दक्षिणा देते हुए जाना।
फिर दोनों मामा – भांजे इसी प्रकार यज्ञ कराते हुए और ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देते हुए काशी नगरी निकल पड़े, फिर इस दौरान रात मैं एक जगह पड़ी जहां उस जगह के राजा की कन्या की शादी थी, लेकिन जिस राजकुमार से उसकी शादी होने वाली थी वह एक आंख से काना था, तो राजकुमार के पिता ने अपने पुत्र के काना होने की बात की छुपाने के लिए सोचा क्यों न उसने साहुकार के पुत्र को दूल्हा बनाकर राजकुमारी से शादी करा दूं, शादी के बाद इसको धन दौलत देकर विदा कर दूंगा, और राजकुमारी की अपने नगर ले जाऊंगा, लड़के की दूल्हे के कपड़े पहनाकर राजकुमारी से शादी करा दी।
साहुकार के पुत्र के निकले प्राण (Somvar Vrat Katha)
साहुकार का पुत्र बहुत ही ईमानदार था, तो उसे ये बात अच्छी नहीं लगी इसलिए उसने मौका पाकर राजकुमारी के दुप्पटे पर लिखा कि तुम्हारी शादी तो मेरे साथ हुई है, लेकिन जिस राजकुमार के साथ तुम्हें भेजा जाएगा, वह एक आंख से काना है, और मैं तो काशी में पढ़ने के लिए जा रहा हूं, फिर जब राजकुमारी ने दुप्पटे पर लिखी ये बातें पढ़ी तो उसने अपने मम्मी पापा को यह बात बताई, तो राजा ने अपने बेटी को विदा नहीं किया फिर बारात वापस चली गई, फिर दूसरी तरफ साहुकार का लड़का और उसका मामा काशी पहुंचे और वहां जाकर उन्होंने यज्ञ किया।
जिस दिन लड़का 12 साल का हुआ उस दिन भी यज्ञ का आयोजन था, लड़के ने अपने मामा से कहा कि मेरी तबियत कुछ सही नही है, तो मामा ने कहा तुम अंदर जाके आराम करलो, शंकर भगवान के वरदान स्वरूप कुछ ही समय में उस लड़के के प्राण निकल गए, मृत भांजे को देख उसके मामा ने रोना चिल्लाना शुरू कर दिया, संयोगवश इसी समय शंकर भगवान और देवी पार्वती उधर से गुजर रहे थे, तो देवी पार्वती ने शिवजी से कहा स्वामी मुझे इसके रोने के स्वर सहन नही हो रहे, तो आप इस व्यक्ति के कष्ट को अवश्य दूर करें।
शिव जी की कृपा से जीवित हो उठा साहुकार का बेटा
फिर जब शिवजी मृत लड़के के पास गए तो वह बोले कि यह उसी साहुकार का बेटा है, जिसे मैंने 12 साल की उम्र का वरदान दिया था, और अब इसकी उम्र पूर्ण हो चुकी है, लेकिन मातृ भाव से विभोर देवी पार्वती ने कहा कि हे भोलेनाथ, आप इस लड़के को और उम्र देने की कृपा करें, अन्यथा इसके वियोग में इसके मम्मी पापा भी तड़प तड़प के मार जायेगे, देवी पार्वती के दुबारा आग्रह पर भगवान शिव ने उस लड़के को जीवित होने का वरदान दिया।
शिवजी की कृपा से वह लड़का जीवित हो गया, शिक्षा पूर्ण करके लड़का अपने मामा के साथ अपने नगर की ओर वापस चल दिया, दोनों चलते हुए उसी नगर में पहुंचे, जहां पर उसकी शादी हुई थी, उस नगर में भी उन्होंने यज्ञ का शुभारंभ किया, फिर उस लड़के के ससुर ने उसे पहचान लिया और महल में ले जाकर उसकी खातिरदारी की ओर अपनी बेटी को विदा किया।
सबकी मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण (Somvar Vrat Katha)
फिर इधर साहुकार और उसकी पत्नी भूखे प्यासे रहकर बेटे का इंतजार कर रहे थे, उन्होंने प्रतिज्ञा की थी कि अगर उन्हें अपने बेटे की मृत्यु का समाचार मिला तो वह भी वही प्राण त्याग देंगे, लेकिन अपने बेटे के जिंदा होने समाचार सुनकर वह बहुत खुश हुए, फिर उसी रात शंकर भगवान ने साहुकार के सपने में आकर कहा ही श्रेष्ठी, मैंने तुम्हारे सोमवार के उपवास करने और व्रत कथा सुनने से खुश होकर तुम्हारे बेटे को लंबी उम्र प्रदान की है, इसी प्रकार जो कोई भी सोमवार उपवास करता है, या फिर कथा सुनता और पढ़ता है, उसके सभी कष्ट दूर होते हैं, और सभी इच्छाएं मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
FAQ Somvar Vrat Katha
1.Ques :- सोमवार व्रत कथा कैसे करते हैं?
Ans :- सोमवार व्रत में व्यक्ति को प्रातः स्नान करके शिव जी को जल और बेल पत्र चढ़ाना चाहिए तथा शिव-गौरी की पूजा करनी चाहिए, शिव पूजन के बाद सोमवार व्रत कथा सुननी चाहिए।
2.Ques :- सोमवार के व्रत मे क्या-क्या नियम होने चाहिए?
Ans :- सोमवार के व्रत मे निम्न नियम होते है, जैसे- व्रत का पहला नियम हृदय शुद्ध और भक्ति भाव होना चाहिए, सूर्य निकालने से पहले स्नान करना चाहिए, शिवलिंग पर जल चढ़ाने से पहले जल मे शहद और दूध मिला लेना चाहिए, इसके साथ ही हर सोमवार को पूजा का समय एक होना चाहिए।
3.Ques :- सोमवार के व्रत मे शाम को क्या खाना चाहिए?
Ans :- सोमवार व्रत के शाम को भूख शांत करने के लिए आप नारियल पानी या चाय के साथ कुछ मखाने भी खा सकते हैं, इसके बाद आप राते के खाने मे हल्का और पौष्टिक रखें। जिसमें मिलेट (कुट्टू का आटा आदि) से बनी 1 रोटी, कद्दू की सब्जी, सलाद हो, इसकी जगह 1 गिलास दूध और 1 सेब भी खा सकते हैं।
उम्मीद करता हूं, दोस्तो हमारा ये लेख Somvar Vrat Katha आपको पसंद आया होगा ऐसी ही व्रत कथा और अन्य जानकारियां आपके लिए हम लाते रहते हैं, और भी आपको कई सारी जानकारियां यहां मिल जाएंगी, और अगर आपको भी किसी से रिलेटेड जानकारी चाहिए हो, तो आप हमें एक कॉमेंट करके बता भी सकता हैं, तो मिलते है।
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