Mahadevi Verma Hindi-महादेवी वर्मा
Mahadevi Verma : महादेवी वर्मा के जीवन के सम्बंधित संपूर्ण जानकारी हम यहाँ लिख रहे है. आगे इसे हम समय समय पर अपडेट भी करते रहेंगे.
जन्म-स्थान :- फर्रुखाबाद (उ० प्र०)
जन्म एवं मृत्यु सन् :- 1907 ई०-1987 ई०
पिता :- गोविन्द प्रसाद वर्मा
माता :- श्रीमती हेमरानी देवी
शुक्लोत्तर :- युग की लेखिका
भाषा :- संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली
शैली :- विवेचनात्मक, संस्मरणात्मक, भावात्मक, व्यंग्यात्मक, चित्रात्मक, आलंकारिक ।
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Mahadevi Verma ka Jivan Parichay :
(जीवन परिचय) :- महादेवी वर्मा ‘पीड़ा की गायिका’ के रूप में सुप्रसिद्ध छायावादी कवयित्री होने के साथ एक उत्कृष्ट गद्य-लेखिका भी थी । गुलाबराय-जैसे शीर्षस्तरीय गद्यकार ने लिखा है– “मैं गद्य में महादेवी का लोहा मनाता हूँ। ” महादेवी वर्मा का जन्म फर्रुखाबाद के एक सम्पन्न कायस्थ परिवार में 12 मार्च सन् 1907 ई० में हुआ था। इनके पिता का नाम गोविन्द प्रसाद वर्मा व् माता का नाम श्रीमती हेमरानी देवी था ।इन्होंने इंदौर में प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद इन्होंने क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज, इलाहबाद में शिक्षा प्राप्त की ।
इनका विवाह स्वरूप नारायण वर्मा के साथ 11 वर्ष की अल्प आयु में ही हो गया था । इनके ससुर जी के विरोध के कारण इनकी शिक्षा में व्यवधा आ गई, परन्तु उनके निधन के पश्चात् इन्होंने पुनः अध्ययन प्रारम्भ किया और प्रयाग विश्वविद्यालय से संस्कृत विषय में एम० ए० की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की । वे 1965 ई० तक प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्या के रूप में कार्यरत रही । इन्हें उत्तर प्रदेश विधान परिषद् की सदस्या भी मनोनीत किया गया ।
महादेवी ने भारत आजाद होने से पहले और भारत आजाद होने के बाद भी देखा और वे अन्य कवियों में से एक हैं महादेवी वर्मा खड़ी बोली हिन्दी की कविता में उस कोमल शब्दों का विकास किया जो अभी तक बृजभाषा बोली जाने में ही संभव मानी जाती थी। इसके लिए उन्होंने केवल अपने समय पर अनुकूल संस्कृत और बांग्ला के अच्छे शब्दों को चुनकर हिन्दी का जामा पहनाया । भारत सरकार ने इन्हें पदमभूषण अंलकार से सम्मानित किया ।
Place of Death: इनका दिहांत 11 सितंबर 1987 ई० को प्रयाग में ही हो गया था ।
Mahadevi Verma ka Sahityik Parichay
आइये साहित्यिक परिचय के बारे में भी जानते है-
(साहित्यिक परिचय) :- महादेवी वर्मा के गद्य का आरम्भिक डुओ इनकी काव्य-कृतियो की भूमिकाओं में देखने को मिलता है । ये मुख्यतः कवियित्री ही थी, फिर भी गद्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट के संस्मरण, निबंध एवं आलोचनाएं लिखी ।
विरह की गायिका के रूप में महादेवी जी को ‘आधुनिक मीरा’ कहा जाता है । महादेवी जी के कुशल सम्पादन के परिणामस्वरूप ही ‘चाँद’ पत्रिका नारी-जगत् की सर्वश्रेष्ट पत्रिका बन सकी । कुमाऊँ विश्वविद्यालय ने इन्हें ‘डी० लिट्०’ की मानद उपाधि से विभूषित किया । भारत सरकार से उन्हें ‘पदमविभूषण’ भी इन्हें प्राप्त हुआ था लेकिन हिन्दी के प्रचार-प्रसार के प्रति सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति से व्यथित होकर महादेवी जी ने इस अलंकंरण को वापस कर दिया था । ‘ज्ञानपीठ पुरुस्कार’ इन्हें 1983 ई० में दिया गया था ।
Mahadevi Verma ki Rachnaye
कृतियां: Creations
महादेवी वर्मा की प्रमुख कृतियां अग्रलिखित है —
निबन्ध संग्रह :- ‘क्षणदा’ , ‘श्रृंखला की कड़ियाँ’ , ‘अबला और सबला’ आदि ।
संस्मरण और रेखाचित्र :- ‘स्मृति की रेखाएँ’ , ‘पथ के साथी’ , ‘मेरा परिवार’ आदि ।
सम्पादन :- ‘चाँद’ पत्रिका और ‘आधुनिक कवि’ नामक काव्य-संग्रह का विव्दत्ता के साथ सम्पादन कार्य किया ।
आलोचना :- ‘हिंदी का विवेचनात्मक गद्य’ तथा ‘यामा’ और ‘दीपशिखा’ की भूमिकाए ।
काव्य रचनाएँ :- ‘नीरजा’ , ‘निहार’ , ‘रश्मि’ , एवं ‘यामा’ आदि ।
इन काव्य-कृतियों में महादेवी जी की अन्तर्वेदना और रहस्यमयी वृत्तियों की अभिव्यक्ति हुई है ।
भाषा शैली :- Language
महादेवी जी काव्य-भाषा अत्यन्त उत्कृष्ट, समर्थ एवं सशक्त है । संस्कृतनिष्ठता इनकी भाषा की प्रमुख विशेषता है । इनकी रचनाओ में उर्दू और अंग्रेजी के प्रचलित शब्दों का प्रयोग भी हुआ है । मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग भी इनकी रचनाओ में हुआ है जिससे इनकी भाषा में लोक-जीवन की जीवन्तता का समावेश हो गया है ।
लक्षणा एवं व्यंजना प्रधानता इनकी भाषा की महत्वपूर्ण विशेषता है । इस प्रकार महादेवी जी की भाषा शुद्ध साहित्यिक भाषा है । इनकी रचनाओ में चित्रोपम वर्णनात्मक शैली, विवेचनात्मक शैली, भावात्मक शैली, व्यंग्यात्मक शैली, आंलकारिक शैली, सूक्ति शैली, उद्धरण शैली आदि द्रष्टव्य है ।
बायोग्राफी | जीवन परिचय | Biography in Hindi
Mahadevi Verma | Mahadevi verma in hindi
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