fbpx

Biharilal | बिहारीलाल का जीवन परिचय

Spread the love

Biharilal | बिहारीलाल

बिहारीलाल Biharilal  के जीवन के सम्बंधित संपूर्ण जानकारी हम यहाँ लिख रहे है. आगे इसे हम समय समय पर अपडेट भी करते रहेंगे. Biharilal ka jivan parichay में अगर कोई गलतियाँ हो तो हमें ज्ञात कराये.

जन्म स्थान :- बसुआ गोविन्दपुर (ग्वालियर)
बिहारीलाल का जन्म :- संवत् 1660 वि० (सन् 1603 ई०)
मृत्यु :- संवत् 1720 वि० (सन् 1663 ई०)
पिता :- श्री केशवराय


Biharilal Books : Buy On Amazon


बिहारीलाल का जीवन परिचय

जीवन-परिचय :-

कविवर बिहारीलाल का जन्म सन् 1603 ई० में ग्वालियर के बसुआ गोविन्दपुर नामक ग्राम में हुआ था । यह जाति से माथुर चौबे थे । इनका बचपन बुन्देलखण्ड में तथा युवावस्था मथुरा ससुराल में बीती । ससुराल में आदर न मिलने पर वो वहाँ से खिन्न होकर यह जयपुर नरेश राजा जयसिंह के यहाँ चले गए । राजा जयसिंह अपनी नवोड़ा रानी के प्रेम में इतने लीन थे कि महल से बाहर भी नही निकलते थे । इस पर बिहारीलाल जी ने निम्न दोहा लिखकर राजा के पास भेज दिया —-

“नहिं पराग, नहिं मधुर-मधु, नहिं विकास इहि काल ।
अलि कलि ही सौ बिँध्यो, आगे कौन हवाल ।।

कहा जाता है कि इस दोहे को पढ़ते ही राजा उस रानी के प्रेम-पाश से मुक्त हो गए । उसी समय से इनका मान बहुत बढ़ गया और इन्हें जयसिंह के यहाँ प्रति दोहे पर एक अशर्फी मिलने लगी । उन्होंने कुल 719 दोहे लिखे जो संग्रहीत होकर ‘बिहारी सतसई’ के नाम से प्रसिद्ध है ।और इनकी मृत्यु सन् 1663 ई० में हो गया था ।

रचनाएँ :- बिहारी की एकमात्र रचना बिहारी सतसई ही उनका साहित्यिक अवदान है, जिसमें 719 दोहे है । उनके इन दोहों में श्रृंगार, भक्ति और नीति की त्रिवेणी पाई जाती है ।

बिहारी विस्मयकारी सृजन-प्रतिभा से सम्पन्न कवि थे । इनका काव्य काव्यात्मक प्रतिभा के ऐसे विलक्षण स्वरूप को प्रस्तुत करता है जो हिंदी-काव्य जगत के विख्यात कवियों को भी आश्चर्यचकित करता रहा । इनके द्वारा सात-सौ से अधिक दोहों की रचना की गयी । ये दोहे विभिन्न विषयों एवं भावों पर आधारित है ।

साहित्यिक व्यक्तित्व एवं कृतित्व :- Biharilal  

बिहारी की गणना रीतिकाल के प्रतिनिधि कवि के रूप में की जाती है । वे रससिद्ध कवि थे । उन्होंने श्रृंगारपरक रचना ‘सतसई’ लिखी । साथ ही उन्होंने भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, दर्शन, ज्योतिष, अंकगणित, वैद्यक, धर्म, राजनीति, भक्ति एवं प्रकृति-चित्रण आदि विषयों से सम्बद्ध अनेक दोहे लिखे है । बिहारी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे ।
उन्होंने 719 दोहे लिखे थे, जो संगृहीत होकर ‘बिहारी-सतसई’ के नाम से प्रसिद्ध हुए । बिहारी की कीर्ति इसी एक पुस्तक पर आधारित है । नीति, भक्ति, प्रकृति-चित्रण तथा श्रृंगार-वर्णन ही ‘बिहारी-सतसई’ के मुख्य विषय रहे है । ‘रामचरितमानस’ के बाद सर्वाधिक टीकाएँ ‘बिहारी-सतसई’ की ही हुई है ।

भाषा :- Biharilal  

बिहारी की भाषा ब्रज है । उनकी भाषा बहुत कुछ शुद्ध और साहित्यिक है । बिहारी की भाषा व्याकरण से गठी हुई है, मुहावरों के प्रयोग, सांकेतिक शब्दावली तथा सुष्ट पदावली से संयुक्त है । वह प्रौढ़ एवं प्रांजल है । विषय के अनुकूल उनकी भाषा अपना रूप बदलती रहती है । संक्षेप में, बिहारी की भाषा पर अच्छा अधिकार था । उनकी भाषा में अरबी, फ़ारसी, उर्दू, बुन्देलखण्डी आदि के शब्द पाए जाते है । शब्द-चित्र एवं उक्ति-वैचित्रय की दृष्टि से बिहारी बेजोड़ कवि थे ।

हिंदी साहित्य में स्थान :-

बिहारी बहुज्ञ थे और एक सच्चे कलाकार थे । हिंदी साहित्य में बिहारी के अतिरिक्त अन्य कोई ऐसा कवि नही जो इतना कम लिखकर इतना अधिक प्रसिद्ध हुआ हो । अदभुद कल्पना-शक्ति, मानव-प्रकृति का अपरिमित ज्ञान तथा कला-निपुणता के कारण बिहारी अपने दोहों में अपरिमित रस भर सके है । इसलिए उनके दोहों के बारे में कहा जाता है ——

सतसैया के दोहरे, ज्यों नाविक के तीर ।
देखने में छोटे लगैं, घाव करैं गम्भीर ।।

biharilal ke dohe : 

बिहारी हिंदी साहित्य में केवल 719 दोहें लिखकर अमर हो गए । उनके विषय में डॉ. द्वारिकाप्रसाद सक्सेना लिखते है —-
“बिहारी के दोहे गहन अनुभूति के भण्डार है और इनमें लोक एवं शास्त्र का समन्वित ज्ञान भरा हुआ है ।”

बायोग्राफी | जीवन  परिचय | Biography in Hindi

Biharilal | Biharilal in hindi

आपको Biharilal कैसी लगी हमें जरूर बताए । भगवन आपको हमेशा खुश रखे रखे यही हमारी कामना है।अगर आपको अपनी कोई पोस्ट अपडेट करनी है तो लिख भेजिये हमें mishraslover99@gmail.com पर।

ये भी पढे ⇓⇓⇓⇓⇓⇓

Jayshankar Prasad | जयशंकर प्रसाद

Biography of Dr Sarvepalli Radhakrishnan

Surdas ka Jivan Parichay | Surdas | सूरदास  

आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने हमारी Biharilal ka jivan parichay पोस्ट को पूरा पढ़ा और  शेयर किया .

2 thoughts on “Biharilal | बिहारीलाल का जीवन परिचय”

Comments are closed.

error: Content is protected !!