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Mahashivratri Kab Hai | महाशिवरात्री कब है 2024 मैं यहाँ से जानें पूरी जानकारी Latest 2024


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Mahashivratri Kab Hai

Mahashivratri Kab Hai: सनातन धर्म मैं महाशिवरात्रि का बहुत बड़ा महत्व है, मान्यता है कि फाल्गुन महीने मैं कृष्ण पक्ष की चारुदाशी को भगवान शिव का देवी पार्वती से विवाह संपन्न हुआ था इसलिए फाल्गुन महीने की महाशिवरात्रि बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है।

Mahashivratri Kab Hai 2024: दोस्तों सनातन धर्म मैं महाशिवरात्रि का बहुत ही महत्व है, शिव की आराधना के लिए परम शुभ महाशिवरात्रि साल मैं दो बार मनाई जाती है, पहली महाशिवरात्रि फुलगुन महीने मैं कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है, और दूसरी सावन महीने के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी को मान्यता है, कि फाल्गुन महीने मैं कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव का देवी पार्वती से विवाह संपन्न हुआ था इसलिए फाल्गुन महीने की महाशिवरात्रि बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है, तो आइए जानते हैं फाल्गुन महीने की महाशिवरात्रि की तारिक और पूजा का समय ( Mahashivratri Date Time And Muhurt) और Mahashivratri Kab Hai

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फाल्गुन महाशिवरात्रि कब है | Mahashivratri Kab Hai

साल 2024 में फाल्गुन महीने मैं कृष्ण पक्ष की चतुराशी तारीख 8 मार्च की रात 9 बजाकर 57 मिनट से 9 मार्च को शाम 6 बजकर 17 मिनट तक है, पूजा के मुहूर्त के अनुसार फाल्गुन महाशिवरात्रि 8 मार्च को मनाई जाएगी।

शुभ मुहूर्त | Mahashivratri Kab Hai

पूजातिथिसमय
महाशिवरात्रि की पहले की पूजा 8 मार्च की शाम 6 बजकर 25 मिनट से 9 बजकर 28 मिनट तक की जा सकती है।
महाशिवरात्रि की दूसरे पहर की पूजा8 मार्च को9 बजकर 28 मिनट से 12 बजकर 20 मिनट तक की जा सकती है।
महाशिवरात्रि की तीसरे पहर की पूजा9 मार्च को 12 बजाकर 30 मिनट से प्रात: 3 बजकर 34 मिनट तक की जा सकती है।
महाशिवरात्रि की चौथे पहर की पूजा9 मार्च की प्रात: 3 बजकर 34 मिनट से सुबह 6 बजकर 37 तक की जा सकती है।

महा शिवरात्रि पूजा विधि | Maha Shivratri Puja Vidhi

फाल्गुन के महीने मैं लड़ने वाली महा शिवरात्रि को वर्ष की सबसे बड़ी शिवरात्रि मैं से एक माना जाता है, इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके जल से भरा कलश घर के पूजा स्थल पर स्थापित करें, इसके पश्चात भगवान शिव और देवी पार्वती की प्रतिमा की स्थापना करें, फिर अक्षत, रोली, चंदन, पान, सुपारी, लौंग, इलाइची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भगवान को अर्पित करें, पूजन करें और लास्ट मैं आरती करें।

सुबह से ही महाशिवरात्रि का यह पावन उपवास शुरू हो जाता है, इस दिन भगवान शिव मंदिरों में जाकर मिट्टी के बर्तन में जल भरकर, बेलपत्र, आक – धतूरा के फूल, चावल आदि शिवलिंग पर चढ़ते हैं, अगर पास मैं शिवलिंग न हो तो शुद्ध गीली मिट्टी से शिवलिंग बना कर पूजा करने का विधान है।

इस दिन शंकर भगवान का विवाह हुआ था, इसलिए रात में भगवान शिव की बारात निकाली जाती है, रात्रि में पूजा के बाद फलाहार किया जाता ही, अगले दिन सुबह जौ, तिल, खीर, और बेलपत्र का हवन करके उपवास खत्म किया जाता है।

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शिवजी का प्रिय बेल | Mahashivratri Kab Hai

बेल के पत्ते भगवान शिव को बहुत प्रिय हैं, शिव पुराण में एक शिकारी की कथा है, एक बार जब उसे जंगल में देर हो गई, तो उसने एक बेल के पेड़ पर रात बिताने का फैसला किया, जागते रहने के लिए उसने एक तरकीब सोची कि – वो एक एक करके पत्तों को तोड़कर रात भर नीचे फेंकता जाएगा, पौराणिक कथा के अनुसार बेल वृक्ष के ठीक नीचे एक शिवलिंग था, शिवलिंग पर मनपसंद पत्तों का चढ़ावा देखकर भगवान शिव प्रसन्न हुए, जबकि शिकारी को अपने शुभ कर्म का आभास भी नहीं था, भगवान शिव ने उन्हें उनकी मनोइक्षा पूरी करने का आशीर्वाद दिया, यह कहानी बताती है, कि भगवान शिव कितनी सरलता से प्रसन्न हो जाते हैं।

महाशिवरात्रि का है? What Is Maha Shivratri In Hindi

महाशिवरात्रि एक हिंदू पर्व है, जो कि भगवान शिव से जुड़ा हुआ है, शिवरात्रि का अर्थ भी शिव की रात्रि ही होता है, पूरे देश भर मैं शिवरात्रि को लेकर अलग अलग मान्यताएं प्रचलित हैं, भगवान शंकर की इस दिन आराधना की जाती है, और जागरण होते हैं, महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोले के मंदिरों में बहुत सारे भक्त आते हैं, और इस दिन कुछ मंदिरों में भक्तों की संख्या हजारों लाखों मैं होती है।

सप्ताह के सभी दिन भगवान शिव की उपासना के लिए अच्छे माने जाते हैं, लेकिन शिव की आराधना का सोमवार को एक खास महत्व होता है, शायद तुमको याद नहीं होगा लेकिन एक शिवरात्रि हर महीने आती है, भारतीय महीनों के मुताबिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि माना जाता है, वहीं फाल्गुन महीने मैं आने वाला कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है, इस दिन भगवान शंकर की विशेष पूजा की जाती है।

क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि? Maha Shivaratri Kyu manai jaati hai

Mahashivratri Kab Hai प्रति चंद्र महीने का चौदहवां दिन या अमावस्या से पहले का एक दिन शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है, एक कैलेंडर साल मैं आने वाली सारी शिवरात्रियों मैं से महाशिवरात्रि को सबसे ज्यादा जरूरी माना जाता है, जो फरवरी मार्च के महीने मैं आती है, ग्रह का उत्तरी गोलर्द्ध इस रात इस प्रकार अवस्थित होता है, कि व्यक्ति के अंदर ऊर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर की तरफ जाती है।

यह एक ऐसा दिन है जब व्यक्ति के प्रकृति उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने माने मदद करती है, इस समय का इस्तेमाल करने के लिए हम इस परंपरा मैं एक उत्सव मनाते हैं, जो पूरी रात चलता है, पूरी रात मनाए जाने वाले इस उत्सव में इस बात का विशेष ख्याल रखा जाता है, कि ऊर्जाओं के प्राकृतिक प्रवाह को उमड़ने का पूरा अवसर मिले – निरंतर जागते रहते हैं, – आप अपनी रीढ़ केके हड्डी को सीधा रखते हुए, और अब यहाँ से आपको पता लग गया होगा Mahashivratri Kab Hai कब है।

क्यों मनाते हैं महाशिवरात्रि? Maha Shivaratri Kyu Manate Hai

Mahashivratri Kab Hai महाशिवरात्रि की भिन्न ग्रंथों में भिन्न मान्यता मानी गई हैं, कहते हैं कि शुरुआत में भगवान भोलेनाथ का सिर्फ निराकार रूप था, भारतीय ग्रंथों के मुताबिक भगवान भोले फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर आधी रात को निराकार से साकार रूप मैं आए थे।

इस मनाया के चलते इस दिन भगवान शंकर अपने विशालकाय स्वरूप अग्रिलिंग में प्रकट हुए थे, कुछ हिंदी मान्यताओं के अनुसार सृष्टि का निर्माण इसी दिन से ही हुआ था, ऐसा माना जाता है, कि भगवान भोलेनाथ इसी दिन करोड़ों सुरजो। के समान तेजस्व वाले लिगरूप में प्रकट हुए थे।

भारतीय मान्यताओं के अनुसार सूर्य और चंद्र फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ज्यादा नजदीक रहते हैं, शीतल चंद्रमा व रौद्र शिवरूपी सूर्य का मिलन इस दिन को माना जाता है, इसलिए इस चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप मैं मनाते हैं।

महाशिवरात्रि की रात क्यों है इतनी खास ? Mahashivratri Kab Hai

रात्रि का महाशिवरात्रि त्योहार में खास महत्व है, हिंदी धर्म मैं रात्रि में होने वाले विवाह का मुहूर्त शादी के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है, धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन कृष्ण के चतुर्दशी तारीख की रात्रि को देवी पार्वती के साथ भगवान शंकर का विवाह पूरा हुआ था, पंचांग के अनुसार जिस दिन फाल्गुन महीने की आधी रात का अर्थ निशीथ काल मैं होती है, उस दिन को ही महाशिवरात्रि माना जाता है।

शिव और शक्ति के मिलन का पर्व है महाशिवरात्रि | Mahashivratri Kab Hai

भारत को देवों की भूमि कहा जाता है, यहां के ग्रंथों और पुराणों में भगवान के अवतार की कहानियां यह प्रमाणित करती हैं, कि भारत की भूमि इतनी पवित्र है, कि देवता भी यहां अवतार लेने के लिए लालयित रहते हैं, आज इस सोने की चिड़िया को घर के दलालों ने नौंच डाला है, लेकिन इस देश का इतिहास हमेशा इसकी स्वर्ण गाथा गाता रहेगा, हमारे लिए इस देश का पौराणिक इतिहास विशेष महत्व रखता है।

Mahashivratri Kab Hai भगवान भोलेनाथ को प्रलय का देवता और बहुत गुस्से वाला देव माना जाता है, लेकिन जिस तरह नारियल बाहर से बहुत कठोर और अंदर से बहुत कोमल होता है, उसी तरह से भगवान भोले भी प्रलय के देव के साथ साथ भोले नाथ भी कहलाते हैं, थोड़ी सी भक्ति से भी वो बहुत खुश हो जाते हैं, और यही वजह हैं, कि शिव को सुर और असुर दोनों एक समान रूप से पूजते हैं।

शिव का मतलब है कल्याण, शिव सभी का कल्याण करने वाले हैं, महाशिवरात्रि शिव की प्रिय तारीख है, शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का महान त्योहार है, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि त्योहार माना जाता है।

महाशिवरात्रि का महत्व | Importance Of Maha Shivratri In Hindi

Mahashivratri Kab Hai मान्यता है कि फाल्गुन महीने मैं कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानी महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती से विवाह संपन्न हुआ था, देवी पार्वती ने पति के रूप मैं भागें शिव को पाने के लिए कठोर तप किया था और महाशिवरात्रि के दिन उनकी तपस्या सफल हुई थी, इस दिन सुहागिन अखंड सौभाग्य के लिए महाशिवरात्रि का उपवास रखती हैं।

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