Harivansh Rai Bachchan | हरिवंश राय बच्चन
हरिवंश राय बच्चन : Harivansh Rai Bachchan के जीवन के सम्बंधित संपूर्ण जानकारी हम यहाँ लिख रहे है. आगे इसे हम समय समय पर अपडेट भी करते रहेंगे. Harivansh Rai Bachchan biography में अगर कोई गलतियाँ हो तो हमें ज्ञात कराये.
जन्म :- सन् 1907 ई०
मृत्यु :- 18 जनवरी, सन् 2003 ई०
जन्म-स्थान :- प्रयाग
पिता का नाम :- प्रताप नारायण
भाषा :- खड़ीबोली
शैली :- भावात्मक गीत शैली
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Harivansh Rai Bachchan ka jeevan parichay
हरिवंश राय बच्चन जीवन-परिचय :-
हरिवंशराय बच्चन का जन्म प्रयाग में मार्गशीर्ष कृष्ण 7, संवत् 1964 वि० (सन् 1907 ई०) में हुआ । इन्होंने काशी और प्रयाग में शिक्षा प्राप्त की । कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इन्होंने डॉक्टरेट की । कुछ समय ये प्रयाग विश्वविद्यालय में अध्यापक रहे और फिर दिल्ली स्थिर विदेश मन्त्रालय में कार्य किया और वहीं से अवकाश ग्रहण किया ।
बच्चन उत्तर छायावादी काल के आस्थावादी कवि थे । इनकी कविताओं में भावनाओं की सामान्य एवं स्वाभाविक अभिव्यक्ति हुई है । सरलता, संगीतात्मकता, प्रवाह और मार्मिकता इनके काव्य की विशेषताएँ है और इन्ही से इनको इतनी अधिक लोकप्रियता प्राप्त हूई । 18 जनवरी, सन् 2003 ई० में हरिवंशराय बच्चनजी का देहान्त हो गया था ।
हरिवंश राय बच्चन रचनाएँ :-
आरम्भ में बच्चन जी उमर खैयाम के जीवन-दर्शन से बहुत प्रभावित रहे । इसी ने इनके जीवन को मस्ती से भर दिया । इनकी काव्य-कृतियों में प्रमुख है — ‘मधुशाला’ , ‘निशा निमन्त्रण’ , ‘प्रणय पत्रिका’ , ‘मधुकलश’ , ‘एकान्त संगीत’ , ‘सतरंगिणी’ , ‘बुद्ध का नाचघर’ , ‘त्रिभंगिमा’ , ‘आरती और अंगारे’ तथा ‘जाल समेटा’ । मधुशाला, मधुबाला, हाला प्याला को इन्होंने प्रतीकों के रूप में स्वीकार किया ।
पहली पत्नी की मृत्यु के बाद घोर विषाद और निराशा ने इनके जीवन को घेर लिया । इनके स्वर हमको ‘निशा-नियंत्रण’ और ‘एकांत संगीत’ में सुनने को मिलते है । इसी समय से इनके जीवन ह्रदय की गंभीर वृत्तियों का विश्लेषण आरम्भ हुआ, किन्तु सतरंगिणी में फिर नीड़ का निर्माण किया गया और जीवन का प्याला एक बार फिर उल्लास और आनंद के आसव से छलकने लगा ।
बच्चन वास्तव में व्यक्तिवादी कवि रहे है । ‘बंगाल का काल’ तथा इसी प्रकार की अन्य रचनाओ में इन्होंने अपने जीवन के बाहर विस्तृत जनजीवन पर भी दृष्टि डालने का प्रयत्न किया । इन परवर्ती रचनाओ में कुछ नविन विषय भी उठाये गए और कुछ अनुवाद भी प्रस्तुत किये गये । इनमे कवी की विचारशीलता तथा चिंतन की प्रधानता रही । वास्तव में इनकी कविताओ में राष्ट्रीय उद्गारों, व्यवस्था में व्यक्ति की असहायता और बेबसी के चित्र दिखाई पड़ते है ।
हरिवंश राय बच्चन भाषा एवं शैली :-
परवर्ती रचनाओं में कवी की वह भावावेशपूर्ण तन्मयता नही है, जो उसकी आरम्भिक रचनाओ में पाठक़ो और श्रोताओ को मन्त्रमुग्ध करती रही । इन्होंने सरस खड़ी बोली का प्रयोग किया है । शैली भवात्मक गीत शैली है, जिसमें लाक्षणिकता और संगीतात्मकता है ।
बायोग्राफी | जीवन परिचय | Biography in Hindi
Harivansh Rai Bachchan | Harivansh Rai Bachchan in hindi
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने हमारी Harivansh Rai Bachchan biography पोस्ट को पूरा पढ़ा और शेयर किया .
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