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Wars of indian history-भारत मे हुये सारे युद्ध एक साथ

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Wars of indian history

Wars of indian history  को हमने एक जगह एक साथ रख कर तैयार किए। इन wars of indian history की लिस्ट से आपको अलग अलग भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी । हमारी कोशिश है की आपको history notes आसानी से उपलब्ध हो जाये।

कलिंग का युद्ध – wars of indian history

यह युद्ध 261 ई. पू. में मौर्य साम्राज्य के तत्कालीन शासक सम्राट अशोक तथा कलिंग देश के बीच हुआ था। यह युद्ध बहुत ही विध्वंशकारी और भयावह था।इस युद्ध में एक लाख से अधिक सैनिक मारे गए तथा कई लाख घायल हुये। इसमें हुए भारी विनाश ने अशोक का हृदय परिवर्तित कर दिया और यह युद्ध सम्राट अशोक के जीवन का आखिरी युद्ध साबित हुआ। इस युद्ध के बाद अशोक ने बौद्ध धर्म को अपनाया



तराइन का प्रथम युद्ध (1191 ई.)-tarain ka yudh

यह युद्ध मौहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान(तृतीय) के मध्य हुआ था। इसमें मोहम्मद गौरी पराजित हुआ और उसे उल्टे पैर भागना पड़ा। इस युद्ध के बाद पुरे भारत में पृथ्वीराज चौहान की वीरता की गाथाएं सुनाई जाने लगी।

तराइन का द्वितीय युद्ध (1192 ई.)-tarain ka dvitiy yudh

पृथ्वीराज चौहान से शत्रुता रखने वाले जयचंद का साथ पाकर मौहम्मद गौरी ने पुन: पृथ्वीराज से युद्ध किया।जिसमें जयचंद द्वारा देशद्रोही बन जाने और पृथ्वीराज के समर्थक राजपूतों को अपने इशारों पर नचाने के कारण पृथ्वीराज की पराजय हुई। मौहम्मद गौरी अपने
योग्य सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक को भारत का गवर्नर बना कर वापस अपने गृह देश चला गया और भारत में प्रथम बार मुस्लिम साम्राज्य स्थापित हुआ। कुतुबुद्दीन

पानीपत का प्रथम युद्ध (1526)-paanipat ka pratham yudh

यह युद्ध बाबर और लोदी वंश के शासक इब्राहीम लोदी के मध्य हुआ था, जिसमें इब्राहीम लोदी की हार हुई और बाबर ने भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी। इस युद्ध में बाबर द्वारा भारत में प्रथम बार तोप का इस्तेमाल किया गया था। यही बाबर की जीत का प्रमुख कारण भी था। बाबर ने दिल्ली सल्तनत के पतन के पश्चात उनके शासकों (दिल्ली शासकों) को ‘सुल्तान’ कहे जाने की परम्परा को तोड़कर अपने आपको ‘बादशाह’ कहलवाना शुरू किया।

पानीपत का द्वितीय युद्ध (1556)- wars of indian history

5 नवम्बर, 1556 को पानीपत का द्वितीय युद्ध हुआ था, इस युद्ध में मुग़ल शासक अकबर की सेना का मुकाबला सेनापति हेमू से हुआ था। हेमू अफगान शासक मुहम्मद आदिल शाह का सेनापति था। इस युद्ध में हेमू पराजित हुआ और मारा गया।इससे अफगान शासन का अंत हुआ और मुगलों के लिए रास्ता साफ हो गया।

तालीकोटा का युद्ध (1564-65) -taalikota ka yudh

यह युद्ध हुसैन निजामशाह के नेतृत्व में बीजापुर,बीदर, अहमदनगर और गोलकुण्डा की संगठित शक्ति (जिसे दक्कन सल्तनत भी कहा जाता है)व विजय नगर के राजा रामराय के मध्य हुआ था।जिसमें विजयनगर के राजा की हार हुई। जिसके परिणामस्वरूप दक्षिण भारत के अंतिम हिन्दू साम्राज्य विजयनगर का अंत हो गया।

हल्दीघाटी का युद्ध (1576)-haldighaati ka yudh

यह युद्ध 18 जून, 1576 ई. को मुग़ल शासक अकबरऔर महाराणा प्रताप के मध्य हुआ था। इस युद्ध में मुग़ल सेना का नेतृत्व राजा मानसिंह ने किया था। यह मुगलों और राजपूतों के मध्य हुआ भीषण युद्ध था जिसमें राजपूतों का साथ स्थानीय भील जाति के लोगों ने दिया था। यह युद्ध काफी विध्वंशकारी था। इस युद्ध में राणाप्रताप की पराजय हुई और राणाप्रताप को अरावली की पहाड़ियों में शरण लेनी पड़ी।


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प्लासी का युद्ध (1757)-wars of indian history

यह युद्ध 23 जून, 1757 ई. को अंग्रेजों और बंगाल के तत्कालीन नवाब सिराजुद्दौला के मध्य प्लासी नामक स्थान पर हुआ था। इस युद्ध में अंग्रेजों की अगुआई रोबर्ट क्लाइव ने तथा बंगाल की सेना की अगुआई मीरजाफर ने की थी। इस युद्ध में मीरजाफर द्वारा नवाब सिराजुद्दौला को धोखा देने के कारण सिराजुद्दौला की हार हुई और भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की पकड़ और मजबूत हो गयी।

वाँदियावाश का युद्ध या वांडीवाश का युद्ध (1760)-vaandiyavaash ka yudh

यह युद्ध अंग्रेजों की ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और फ्रांसीसियों की फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी के मध्य हुआ था, जिसमे अंग्रेजों ने फ्राँसीसियों को हराकर भारत में फ्रांसीसियों की शक्ति को समाप्त कर दिया। यह युद्ध अंग्रजों और फ्रांसीसियों के मध्य सात साल से चल रही लड़ाई का एक निर्णायक युद्ध था। इसके फलस्वरूप भारत में आयी विभिन्न यूरोपीय कंपनियों में से केवल अंग्रेजों की ब्रिटिश कंपनी ही भारत में शेष रही।

पानीपत का तृतीय युद्ध (1761) -paanipat ka tratiy yudh

पानीपत का तीसरा युद्ध अफगानी अहमदशाह अब्दाली तथा मराठाओं के मध्य हुआ था। इस युद्ध में अहमदशाह अब्दाली ने मराठों को पराजित कर विजय प्राप्त की थी। यह युद्ध ऐसे समय हुआ था जब मुग़ल शक्ति क्षीण पड़ चुकी थी और मराठाओं का साम्राज्य बढ़ने लगा था और हर तरफ मराठाओं का बोल बाला था। ऐसा प्रतीत हो रहा था की पूर्ण भारत पर मराठाओं का राज हो जायेगा तभी पानीपत का तृतीय युद्ध हुआ जिसमें मराठाओं को पराजय का सामना करना पड़ा और मराठा शक्ति को एक जबर्दस्त धक्का लगा और उनका वर्चस्व ही समाप्त हो गया।

बक्सर का युद्ध (1764) –wars of indian history

यह युद्ध अंग्रजों और बंगाल के तत्कालीन नवाब मीरकासिम, अवध के नवाब शुजाउद्दौला तथा मुग़ल बादशाह शाहआलम द्वितीय की सम्मिलित सेनाओं के बीच हुआ था। सर हेक्टर मुनरो के नेतृत्व में अंग्रेजों ने नवाबों और शाह आलम द्वितीय की संगठित सेना को हराकर विजय प्राप्त की और भारतवर्ष में अंग्रेज शक्ति को सर्वोच्च बना दिया।

चिलियानवाला युद्ध (1849)-chiliyanvaala yudh

ह्यूगफ के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कम्पनी की सेना ने शेरसिंह के नेतृत्व में लड़ रही सिखों की सेना को हराया था। भारत में अंग्रेजों और सिक्खों के बीच हुआ यह प्रथम युद्ध था।

भारत पाक युद्ध (1965) -bhaarat-pak yudh

यह युद्ध पाकिस्तान द्वारा कच्छ (गुजरात) और धम्ब (कश्मीर) पर आक्रमण करने के साथ शुरू हुआ था। यह युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच अनिर्णीत युद्ध साबित हुआ। इस युद्ध का अंत संयुक्त राष्ट्र के द्वारा युद्ध विराम की घोषणा के साथ हुआ और दोनों देशों के मध्य ताशकंद समझौते के द्वारा सीमा पर पुनः शान्ति स्थापित हुई।



भारत पाक युद्ध (1971) या बांग्लादेश मुक्ति युद्ध -bhaarat-pak yudh

भारत और पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) की सेनाओं ने संयुक्त रूप से कार्यवाही करके पूर्वी पाकिस्तान में पश्चिमी पाकिस्तान (वर्तमान पाकिस्तान) की सेना को बुरी तरह से हराकर आत्मसमर्पण के लिए विवश कर दिया था और पूर्वी पाकिस्तान को पश्चिमी पाकिस्तान (वर्तमान पाकिस्तान) से स्वतन्त्रता दिलाई थी। इस युद्ध में विजय के बाद पूर्वी पाकिस्तान का नाम बदलकर बांग्लादेश रखा गया। यह युद्ध 18 दिसम्बर,1971 को पश्चिमी पाकिस्तान की सेना के आत्मसमर्पण के बाद बंद हुआ था।

कारगिल युद्ध (1999)-wars of indian history

यह युद्ध भारत और पाकिस्तान के मध्य जम्मू-कश्मीर में लद्दाख क्षेत्र के कारगिल सेक्टर में हुआ था यह एक बहुत ही भीषण पर्वतीय युद्ध था जिसमें दोनों देशों के कई सैनिक शहीद हुए। भारत ने ‘ऑपरेशन विजय’ द्वारा पाकिस्तानी घुसपैठियों को कारगिल से मार भगाया और शानदार विजय प्राप्त की। कारगिल युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई को युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई को उसका अंत हुआ। इसी दिन 26 जुलाई को कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के सम्मान में ‘कारगिल दिवस’ मनाया जाता है।

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